सोमवार, 14 सितंबर 2015

कैसे बनेगा लादेरो का स्मार्ट शहर ?

            स्मार्ट शहर का सपना पाले कानपुर वाले सफलता केवल कागजों पर ही पालेंगे या हकीकत में ऐसा होगा भी। जनता तो जनता ही होती है उससे उम्मीदे भी होती है तब जब कोई कुछ बनना चाहे। पूरे शहर यानी कानपुर नगर क्षेत्र में सड़क के किनारे किनारे से लेकर कभी कभी बीच तक में, जैसा मौका हो या क्षेत्रीय पुलिस की भूमिका हो, के आधार पर ठेलिया जैसा वाहनो से खाने पीने की चीजिों को बेचने और खरीदने वाले मिल जाते है। लोग जब तक सड़क पर ही खाते-पीते रहेंगे तब तक सड़क पर ठेलिया या अन्य वाहन जमाकड़ा लगाते रहेंगे। 
          अभी दो दिन पहले की ही बात है।  स्वास्थ्य समबन्धी कारणों से मुझे कानपुर जाना पड़ा। कानपुर के दक्षिण में बारादेवी एक स्थान है। इधर से ही दक्षिण का यातायात गुजरता है। ग्रामीण क्षेत्र भी यही के द्वारा जुड़ता है और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी आने -जाने वाले लोग भी कार्यवश यही से गुजरते है। यानि व्यस्तता है। इसी चौराहे पर हमीरपुर रोड या नौबस्ता रोड पर इन्तजार खड़ा होना पड़ा। सड़क के मध्य तक ठेली - ठेला लगे थे। सभी अपने- अपने में व्यस्त थे।  किसी के भी पास किसी को देखने का समय नहीं था, चाहे वो पुलिस हो या होमगार्ड। होमगार्ड आते और खुद व मिलने वालों को खीरा आदि खिलाकर चले जाते।  यानि कोई पुरसाहाल नहीं था। जाम बार -बार लगता था। विक्रम तो नहीं लेकिन अॉटो खुले आम आधी सड़क तक खड़े थे। कभी - कभी पुलिस का कोई बंदा आता तो सभी ऑटो सवार भागते और फिर से जम जाते। यानि कोई भी हल नहीं था और मुझे तो आगे भी हल होने की उम्मीद नहीं लगती थी।

           मै खड़ा -खड़ा उसी समार्ट शहर की कल्पना में खोया हुआ यही देख रहा था, कैसे बनेगा लादेरो का स्मार्ट शहर ?